अश्वगंधा ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे किसी परिचय की जरूरत नहीं है। अनगिनत लाभों के कारण ही सदियों से विश्वभर में इसका उपयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि अश्वगंधा गुणकारी औषधि है। इसी वजह से कहा जाता है कि इसके इस्तेमाल से कई शारीरिक समस्याओं, विकार और रोग से बचने में मदद मिल सकती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटी स्ट्रेस व एंटीबैक्टीरियल एजेंट और इम्यून सिस्टम को बेहतर करने व अच्छी नींद लाने वाले गुण मौजूद हैं इसलिए, गुणों से भरपूर अश्वगंधा के फायदे के बारे में हम स्टाइलक्रेज के इस लेख में विस्तार से बताएंगे। साथ ही इसके दुष्प्रभाव के बारे में भी जानेंगे। अश्वगंधा एक औषधि है और इस बारे में आयुर्वेदिक डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं कि इसे किस प्रकार और कितनी मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। इसलिए, बिना डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
अश्वगंधा क्या है? – What is Ashwagandha
अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम विथानिया सोम्निफेरा (Withania somnifera) है। आम बोलचाल में इसे अश्वगंधा के साथ-साथ इंडियन जिनसेंग और इंडियन विंटर चेरी भी कहा जाता है। इसका पौधा 35-75 सेमी लंबा होता है। मुख्य रूप से इसकी खेती भारत के सूखे इलाकों में होती है, जैसे – मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान व गुजरात। इसके अलावा, चीन और नेपाल में भी इसे बहुतायत संख्या में उगाया जाता है। विश्वभर में इसकी 23 और भारत में दो प्रजातियां पाई जाती हैं ।
चलिए, अब विस्तार से अश्वगंधा के फायदे पर एक नजर डाल लेते हैं। इसके बाद अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग कैसे करें, इस पर भी चर्चा करेंगे।
चलिए, अब विस्तार से अश्वगंधा के फायदे पर एक नजर डाल लेते हैं। इसके बाद अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग कैसे करें, इस पर भी चर्चा करेंगे।
सेहत के लिए अश्वगंधा के फायदे – Health Benefits of Ashwagandha in Hindi
1. कोलेस्ट्रॉल
अश्वगंधा में एंटीआक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद हैं। इस कारण यह ह्रदय से जुड़ी तमाम तरह की समस्याओं से बचाने में मदद कर सकता है। अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करने से ह्रदय की मांसपेशियां मजबूत और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। वर्ल्ड जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस के शोध में भी पुष्टि की गई है कि अश्वगंधा में भरपूर मात्रा में हाइपोलिपिडेमिक पाया जाता है, जो रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में कुछ मदद कर सकता है ।
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2. अनिद्रा
अगर कोई नींद न आने से परेशान हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन किया जा सकता है। यह हम नहीं, बल्कि 2017 में जापान की त्सुकुबा यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए एक रिसर्च में कहा गया है। इस अध्ययन के अनुसार, अश्वगंंधा के पत्तों में ट्राइथिलीन ग्लाइकोल नामक यौगिक होता है, जो गहरी नींद में सोने में मदद कर सकता है। इस रिसर्च के आधार पर अनिद्रा के शिकार व्यक्ति को अश्वगंधा का सेवन करने से फायदा मिल सकता है ।
3. तनाव
तनाव के कारण लोग न सिर्फ समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं, बल्कि कई बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं। चूहों पर किए गए शोध के अनुसार, तनाव और चिंताग्रस्त जीवन के इन दुष्परिणामों से बचाने में आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा कारगर साबित हो सकती है। दरअसल, अश्वगंधा में एंटी-स्ट्रेस गुण पाए जाते हैं । अश्वगंधा में मौजूद सिटोइंडोसाइड (Sitoindosides) और एसाइलस्टरीग्लुकोसाइड्स (acylsterylglucosides) नामक दो कंपाउंड शरीर में बतौर एंटी-स्ट्रेस गुण काम करते हैं। ये गुण तनाव से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं।
4. यौन क्षमता में वृद्धि
कई पुरुषों में यौन इच्छा कम होती है और वीर्य की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं होती। इस कारण वो संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में अश्वगंधा जैसी शक्तिवर्धक औषधि पुरुषों में यौन क्षमता को बेहतर कर वीर्य की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है। 2010 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, अश्वगंधा का प्रयोग करने से वीर्य की गुणवत्ता के साथ-साथ उसकी संख्या में भी वृद्धि हो सकती है। यह शोध स्ट्रेस (ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, केमिकल स्ट्रेस व मानसिक तनाव) के कारण कम हुई प्रजनन क्षमता पर किया गया है। लेकिन सिर्फ अश्वगंधा के प्रयोग से पूरी तरह से सेक्सुअल पावर नहीं बढ़ाई जा सकती है,इसके लिए आपको इसके साथ और भी कई तरह की औषधियों का सेवन करना होगा।
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5. कैंसर
यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी कैंसर जैसे प्राणघातक रोग से बचाव में मदद कर सकती है। एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में कहा गया है कि अश्वगंधा में एंटी-ट्यूमर गुण मौजूद होते हैं, जो ट्यूमर को पनपने से रोक सकते हैं। साथ ही अश्वगंधा बतौर कैंसर के इलाज के रूप में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी के नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने में मदद कर सकती है । ध्यान रखें कि अश्वगंधा को सीधे तौर पर कैंसर को ठीक करने के लिए नहीं, बल्कि कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है । अगर किसी को कैंसर है, तो उसे डॉक्टर से इलाज जरूर करवाना चाहिए। साथ ही मरीज को डॉक्टर की सलाह पर ही अश्वगंधा का सेवन करना चाहिए।
6. डायबिटीज
आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा के जरिए डायबिटीज से भी बचा जा सकता है। इसमें मौजूद हाइपोग्लाइमिक गुण, ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है। दरअसल, साल 2009 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मोल्यूकूलर साइंस ने डायबिटीज ग्रस्त चूहों पर अश्वगंधा की जड़ और पत्तों का प्रयोग कर अध्ययन किया था। कुछ समय बाद चूहों में सकारात्मक परिवर्तन नजर आए। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि अश्वगंधा को डायबिटीज से बचाव के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है वहीं, अगर किसी को डायबिटीज है, तो उसे डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन भी जरूर करना चाहिए।
7. बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता
यह तो सभी जानते हैं कि अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर नहीं होगी, तो विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना मुश्किल हो जाता है। प्रतिरोधक क्षमता बेहतर करने के लिए भी अश्वगंधा का सेवन किया जा सकता है। विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के जरिए स्पष्ट किया गया है कि अश्वगंधा खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है । इसमें मौजूद इम्यूनमॉड्यूलेटरी गुण शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव करता है, जिससे रोगों से लड़ने में मदद मिलती है इसलिए, माना जाता है कि अश्वगंधा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
8. थायराइड
गले में मौजूद तितली के आकार की थायराइड ग्रंथि जरूरी हार्मोंस का निर्माण करती है। जब ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है। साथ ही अन्य तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। इसी अवस्था को थायराइड कहते हैं। थायराइड से ग्रस्त चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि जब चूहों को नियमित रूप से अश्वगंधा की जड़ को दवा के रूप में दिया गया, तो उनके थायराइड हार्मोंस संतुलन होने लगे । साथ ही हाइपोथायराइड रोगियों पर हुए अध्ययन में भी अश्वगंधा को थायराइड में लाभकारी पाया गया है । इस आधार पर कहा जा सकता है कि थायराइड के दौरान डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है।
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9. आंखों की बीमारी
तेजी से लोग आंखों से जुड़ी बीमारियां का शिकार हो रहे हैं। मोतियाबिंद जैसी बीमारियों के मामले भी तकरीबन दोगुने हो गए हैं कई लोग मोतियाबिंद से अंंधे तक हो जाते हैं । इसी संबंध में हैदराबाद के कुछ वैज्ञानिकों ने अश्वगंधा को लेकर शोध किया। उनके अनुसार, अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मोतियाबिंद से लड़ने में मदद कर सकते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि अश्वगंधा मोतियाबिंद के खिलाफ प्रभावशाली तरीके से काम कर सकता है। यह मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है।
10. अर्थराइटिस
यह ऐसी पीड़ादायक बीमारी है, जिसमें मरीज का चलना-फिरना और उठना-बैठना मुश्किल हो जाता है। इसी के मद्देनजर वैज्ञानिकों ने 2014 में अश्वगंधा पर शोध किया। उन्होंने अपने शोध के जरिए बताया कि अश्वगंधा में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इस गुण की वजह से अश्वगंधा की जड़ के रस का प्रयोग करने से अर्थराइटिस से जुड़े लक्षण कम हो सकते हैं और दर्द से भी आराम मिल सकता है यह शोध बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चूहों पर किया था। अर्थराइटिस की गंभीर अवस्था में घरेलू नुस्खे के साथ-साथ डॉक्टरी इलाज भी जरूरी है।
11. याददाश्त में सुधार
स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और बदलती दिनचर्या तेजी से मस्तिष्क की कार्य क्षमता को प्रभावित करती है। ऐसे में जानवरों पर किए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया कि अश्वगंधा मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और याददाश्त पर सकारात्मक असर डाल सकता है जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अश्वगंधा लेने से नींद भी अच्छी आ सकती है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है और वह बेहतर तरीके से काम कर सकता है
12. मजबूत मांसपेशियांं
हड्डियों के साथ-साथ मांसपेशियोंं का मजबूत होना भी जरूरी है। अगर मांसपेशियां कमजोर होंगी, तो शरीर में भी जान नहीं रहेगी। मांसपेशियों के लिए अश्वगंधा का सेवन लाभकारी हो सकता है। इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत होने के साथ ही दिमाग और मांसपेशियों के बीच बेहतर तालमेल बन सकता है। यही कारण है कि जिम जाने वाले और अखाड़े में अभ्यास करने वाले पहलवान भी अश्वगंधा के सप्लीमेंट्स लेते हैं फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की जरूर है।
13. संक्रमण
लेख में बताई गई तमाम खूबियों के अलावा अश्वगंधा संक्रमण से भी निपटने में मदद कर सकता है। एक वैज्ञानकि अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह गुण रोग जनक बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकता है। अश्वगंधा की जड़ और पत्तों के रस ने साल्मोनेला (Salmonella) बैक्टीरिया के असर को कम किया। साल्मोनेला की वजह से आंत संबंधी समस्याएं और फूड पॉइजनिंग हो सकती है । एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, अश्वगंधा एस्परगिलोसिस (Aspergillosis) नामक संक्रमण के खिलाफ प्रभावी माना गया है। यह इंफेक्शन फेफड़ों में और यह अन्य अंगों में भी संक्रमण पैदा कर प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है । ऐसे में कहा जा सकता है कि संक्रमण से बचने के लिए अश्वगंधा का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।
14. ह्रदय रोग
ह्रदय रोग के मरीज दिनों-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित मेडिकल रिसर्च के अनुसार, अश्वगंधा हृदय रोग को कम करने की शक्ति को प्रदर्शित करता है। स्टडी के अनुसार, मरीज को नियमित रूप से अश्वगंधा की तय खुराक देने से कार्डियो एपोप्टोसिस (जरूरी सेल्स का नष्ट होना) के लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही मायोकार्डियम (हृदय के मजबूत व स्वस्थ टिशू) को फिर से जीवित किया जा सकता है ।
15. नियंत्रित वजन
चुस्त-तंदुरुस्त और आकर्षक दिखना हर किसी की चाहत होती है। इसके लिए स्वस्थ रहने के साथ ही वजन भी संतुलित रहना जरूरी है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, अश्वगंधा की जड़ के अर्क का सेवन करने से भूख लगने में कमी पाई गई है। साथ ही वजन भी नियंत्रित रहा है। शोध में बताया गया है कि अश्वगंधा की जड़ का अर्क तनाव के मनोवैज्ञानिक लक्षणों में सुधार कर सकता है। यह तनाव और चिंता को कम कर भोजन की तीव्र इच्छा में कमी लाकर वजन को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, शोध में यह भी कहा गया है कि तनाव की वजह से बढ़ने वाले वजन को कम करने की अश्वगंधा की क्षमता को लेकर आगे और भी अध्ययन की जरूरत है । यहां हम स्पष्ट कर दें कि वजन कम करने के लिए अश्वगंधा के साथ-साथ संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी जरूरी है।
आगे हम बता रहे हैं कि त्वचा के लिए अश्वगंधा किस प्रकार लाभकारी हो सकता है।
त्वचा के लिए अश्वगंधा के फायदे – Skin Benefits of Ashwagandha in Hindi
1. एंटी एजिंग
जैसा कि लेख के शुरुआत में बताया गया है कि अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है। इस लिहाज से यह त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़कर बढ़ती उम्र (एजिंग) के लक्षणों जैसे झुर्रियां व ढीली त्वचा को बचा सकता है । अश्वगंधा में मौजूद यह गुण सूरज की पराबैंगनी किरणों के कारण होने वाले कैंसर से बचाने में भी मदद कर सकता है । त्वचा के लिए अश्वगंधा का फेसपैक बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। नीचे हम अश्वगंधा के प्रयोग से फेस पैक बनाने की विधि बता रहे हैं।
सामग्री :
- एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर
- गुलाब जल (आवश्यकतानुसार)
उपयोग का तरीका :
- अश्वगंधा पाउडर और गुलाब जल को मिक्स करके पेस्ट बना लें।
- अब इसे साफ हाथों या फिर साफ मेकअप ब्रश से अपने चेहरे पर लगाएं।
- पेस्ट को करीब 15 मिनट बाद धो लें।
2. घावों को भरने के लिए
वैसे अश्वगंधा सीधे तौर पर घाव भरने में तो मदद नहीं कर सकता, लेकिन घाव में बैक्टीरिया को पनपने से रोक जरूर सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण घाव में पनपने वाले जीवाणुओं को खत्म करके इंफेक्शन के खतरे को रोक सकता हैं )। ऐसे में घाव गहरा नहीं होता और घाव ठीक होने के लिए लगने वाला समय कम हो सकता है घाव में इसका पेस्ट या फिर तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी विधि हम नीचे बता रहे हैं। ध्यान रखें कि गहरा घाव होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। महज अश्वगंधा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।
वैसे अश्वगंधा सीधे तौर पर घाव भरने में तो मदद नहीं कर सकता, लेकिन घाव में बैक्टीरिया को पनपने से रोक जरूर सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण घाव में पनपने वाले जीवाणुओं को खत्म करके इंफेक्शन के खतरे को रोक सकता हैं )। ऐसे में घाव गहरा नहीं होता और घाव ठीक होने के लिए लगने वाला समय कम हो सकता है घाव में इसका पेस्ट या फिर तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी विधि हम नीचे बता रहे हैं। ध्यान रखें कि गहरा घाव होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। महज अश्वगंधा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।
सामग्री :
- अश्वगंधा की जड़
- थोड़ा-सा पानी (आवश्यकतानुसार)
उपयोग का तरीका :
- पहले अश्वगंधा की जड़ को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और फिर मिक्सी में ग्राइंड करके पाउडर तैयार कर लें।
- अब इसमें आवश्यकतानुसार पानी डालकर पेस्ट बना लें।
- पेस्ट बनने के बाद इसे प्रभावित जगह पर लगाएं।
- जब तक आपको आराम न मिले, इसे दिन में कम से कम एक बार लगा सकते हैं।
3. त्वचा में सूजन
ऊपर लेख में हम बता चुके हैं कि अश्वगंधा में पर्याप्त मात्रा में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं इस लिहाज से कहा जा सकता है कि यह त्वचा में आई सूजन को कम करने में मदद कर सकता है दरअसल, त्वचा में इंफेक्शन के लिए स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं और इंफेक्शन की वजह से चेहरे में सूजन होने लगती है । वहीं, अश्वगंधा में मौजूद विथाफेरिन (Withaferin) में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया स्टैफिलोकोकस ऑरियस को बेअसर कर त्वचा में आई सूजन को कम कर सकते हैं ।
ऊपर लेख में हम बता चुके हैं कि अश्वगंधा में पर्याप्त मात्रा में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं इस लिहाज से कहा जा सकता है कि यह त्वचा में आई सूजन को कम करने में मदद कर सकता है दरअसल, त्वचा में इंफेक्शन के लिए स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं और इंफेक्शन की वजह से चेहरे में सूजन होने लगती है । वहीं, अश्वगंधा में मौजूद विथाफेरिन (Withaferin) में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया स्टैफिलोकोकस ऑरियस को बेअसर कर त्वचा में आई सूजन को कम कर सकते हैं ।
उपयोग का तरीका :
- त्वचा में जहां सूजन है, आप वहां अश्वगंधा पेस्ट को लगा सकते हैं। पेस्ट बनाने का तरीका ऊपर बताया गया है।
4. कोर्टिसोल के स्तर में कमी
कोर्टिसोल (Cortisol) एक प्रकार का हार्मोन होता है, जिसे स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। यह शारीरिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हार्मोंस में से एक है । यह हार्मोन बताता है कि भूख लग रही है। जब रक्त में इस हार्मोन का स्तर बढ़ता है, तो शरीर में फैट और स्ट्रेस का स्तर भी बढ़ने लगता है। इससे शरीर को विभिन्न प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। इसलिए, कोर्टिसोल के स्तर को कम करना जरूरी है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक के रिपोर्ट के मुताबिक, अश्वगंधा के प्रयोग से कोर्टिसोल को कम किया जा सकता है
कोर्टिसोल (Cortisol) एक प्रकार का हार्मोन होता है, जिसे स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। यह शारीरिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हार्मोंस में से एक है । यह हार्मोन बताता है कि भूख लग रही है। जब रक्त में इस हार्मोन का स्तर बढ़ता है, तो शरीर में फैट और स्ट्रेस का स्तर भी बढ़ने लगता है। इससे शरीर को विभिन्न प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। इसलिए, कोर्टिसोल के स्तर को कम करना जरूरी है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक के रिपोर्ट के मुताबिक, अश्वगंधा के प्रयोग से कोर्टिसोल को कम किया जा सकता है
उपयोग का तरीका :
- प्रतिदिन 3g से 6g तक अश्वगंधा के सप्लीमेंट्स ले सकते हैं । ध्यान रखें कि इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। डॉक्टर शरीर की जरूरत के हिसाब से इसकी सटीक मात्रा और कब तक सेवन किया जाना है, इस बारे में बताएंगे।
अश्वगंधा बालों के लिए भी गुणकारी है। आइए, जानते हैं कैसे।
बालों के लिए अश्वगंधा के फायदे – Hair Benefits of Ashwagandha in Hindi
1. बालों के लिए
काले, घने और लंबे बालों की चाहत हर किसी को होती है। यह तभी संभव है, जब स्कैल्प स्वस्थ हो। इसके लिए किसी दवा, शैंपू या कंडीशनर की तरह ही आयुर्वेद पर भी भरोसा कर सकते हैं। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, आनुवंशिक कारण (Non-classical Adrenal Hyperplasia) व थाइरायड की वजह से झड़ रहे बालों को रोकने में अश्वगंधा मदद कर सकता है । अश्वगंधा बालों के मेलेनेन को भी बढ़ाता है, जिसकी वजह से बालों का रंग बना रहता है
2. डैंड्रफ
कई बार स्ट्रेस और अच्छी नींद न आने की वजह से भी डैंड्रफ होने लगता है। दरअसल, ऐसा सेबोरेहिक (Seborrheic) डर्मेटाइटिस त्वचा विकार के दौरान होता है। इसमें स्कैल्प में खुजली, लाल चकत्ते और डैंड्रफ होने लगता है । ऐसे में अश्वगंधा में मौजूद एंटी-स्ट्रेस गुण लाभदायक हो सकता है। यह स्ट्रेस को खत्म करकेडैंड्फ को दुर कर सकता है। साथ ही इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी सेबोरेहिक (Seborrheic) डर्मेटाइटिस को ठीक कर सकता है
कई बार स्ट्रेस और अच्छी नींद न आने की वजह से भी डैंड्रफ होने लगता है। दरअसल, ऐसा सेबोरेहिक (Seborrheic) डर्मेटाइटिस त्वचा विकार के दौरान होता है। इसमें स्कैल्प में खुजली, लाल चकत्ते और डैंड्रफ होने लगता है । ऐसे में अश्वगंधा में मौजूद एंटी-स्ट्रेस गुण लाभदायक हो सकता है। यह स्ट्रेस को खत्म करकेडैंड्फ को दुर कर सकता है। साथ ही इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी सेबोरेहिक (Seborrheic) डर्मेटाइटिस को ठीक कर सकता है
3. सफेद होते बालों से राहत
हर कोई चाहता है कि उनके बाल समय से पहले सफेद न हों। इस चाहत को अश्वगंधा से पूरा किया जा सकता है। यह आयुर्वेदिक औषधि बालों में मेलेनिन के उत्पाद को बढ़ाती है। मेलेनिन एक प्रकार का पिगमेंट होता है, जो बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में मदद करता है
हर कोई चाहता है कि उनके बाल समय से पहले सफेद न हों। इस चाहत को अश्वगंधा से पूरा किया जा सकता है। यह आयुर्वेदिक औषधि बालों में मेलेनिन के उत्पाद को बढ़ाती है। मेलेनिन एक प्रकार का पिगमेंट होता है, जो बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में मदद करता है
अश्वगंधा के पौष्टिक तत्व – Ashwagandha Nutritional Value in Hindi
अश्वगंधा के फायदे तो आप जान ही चुके हैं। अब अश्वगंधा पाउडर में मौजूद विभिन्न पोषक तत्वों में प्रति 100 ग्राम कितना मूल्य पाया जाता है, वो हम आपको नीचे टेबल में बता रहे हैं।
अश्वगंधा के फायदे के बाद अश्वगंधा को कैसे खाएं, इस पर एक नजर डाल लेते हैं।
अश्वगंधा किस रूप में उपलब्ध है और इसका उपयोग कैसे करें – How to Use Ashwagandha in Hindi
बाजार में आपको अश्वगंधा विभिन्न रूपों में मिल जाएगा, लेकिन सबसे ज्यादा यह पाउडर व चूर्ण के रूप में मिलता है। अश्वगंधा चूर्ण खाने का तरीका बहुत आसान है। शहद, पानी या फिर घी में मिलाकर अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, आपको बाजार में या फिर ऑनलाइन अश्वगंधा चाय, अश्वगंधा कैप्सूल और अश्वगंधा का रस भी आसानी से मिल जाएगा। अब सवाल उठता है कि अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग कैसे करें? तो इस संबंध में आपको डॉक्टर की सलाह व परामर्श लेना जरूरी है। डॉक्टर समस्या और शारीरिक जरूरत के अनुसार अश्वगंधा को उपयोग करने की सलाह देते हैं।
अश्वगंधा चूर्ण खाने का तरीका तो हम बता चुके हैं। आगे हम आपको अश्वगंधा की खुराक के बारे में बता रहे हैं।
अश्वगंधा की खुराक – Ashwagandha Dosage in Hindi
अश्वगंधा का सेवन कैसे करें यह जानने के बाद अश्वगंधा का सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए, इसकी जानकारी होना भी जरूरी है। अश्वगंधा के सूखे जड़ की 3 से 6 ग्राम खुराक का सेवन किया जा सकता है, इसे सुरक्षित माना जाता है। वैसे अश्वगंधा की खुराक प्रत्येक व्यक्ति की उम्र, सेहत, समस्या व अन्य कारणों पर निर्भर करती है। इसलिए, डॉक्टर की सलाह के बिना इसे उपयोग न करें। इसके अलावा, बाजार में मिलने वाले अश्वगंधा सप्लीमेंट्स के पैकेट पर लिखे निर्देश का भी आप पालन कर सकते हैं।
अश्वगंधा का यूज कैसे करें और इसकी कितनी खुराक खाई जाए, यह तो आप जान गए हैं। अब आर्टिकल के अंतिम भाग में हम अश्वगंधा के नुकसान बता रहे हैं।
अश्वगंधा के नुकसान – Side Effects of Ashwagandha in Hindi
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे के साथ ही कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। अश्वगंधा के कारण शरीर को नुकसान इसकी अधिक मात्रा के कारण ही पहुंचता है। इसलिए, आपको इसकी संयमित मात्रा का ही सेवन करना चाहिए। अश्वगंधा के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं:
प्रकृति ने हमें कई अनमोल उपहार दिए हैं और अश्वगंधा भी उन्हीं में से एक है। आप तमाम तरह की बीमारियों से बचने, शरीर में शक्ति बढ़ाने और वजन नियंत्रित करने के लिए इसका सेवन कर सकते हैं। साथ ही जवां और खूबसूरत दिखने में भी यह औषधि आपकी मदद कर सकती है। बेशक, यह गुणकारी औषधि है, लेकिन इसका लंबे समय तक नियमित रूप से उपयोग करना हानिकारक हो सकता है। इसलिए, विशेषज्ञ से इसकी मात्रा व कितने समय तक लेना है, इस बारे में पूछकर ही इसका सेवन शुरू करें।
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